
कब तक तेरी तस्वीर से दिल बहलाता रहूँगा
कब तक तुझे आवाज़ लगता रहूँगा
कब तक अतीत के अंधियारे मुझे डराते रहेंगे
कब तक इन ग़मो मै मुस्कुराता रहूँगा
कब तक तेरी याद यूँ ही सताती रहेगी
कब तक तेरी जुदाई मुझे रुलाती रहेगी
कब तक साहिल की लहरें बुलाती रहेंगी
कब तक तेरी बातें दिल की बेचैनियाँ बढ़ाती रहेंगी
कब तक तू सिर्फ सपनो में आकर तड़पाती रहेगी
और कब तक मै यूँ ही लिखता रहूँगा
कब तक तू यूँ ही ही पड़ती रहेगी
कबतक ....कबतक ..... कबतक .......??????
सत्येन्द्र "सत्या"
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