Tuesday 25 July 2017

"शहर की वो बरसात"

"शहर की वो बरसात"

पानी में पसरा
रास्ते को रास्ते से जोड़ता वो पूल
क़मर तक डूबी गली
से होकर गुज़रते स्कूली बच्चे
नहर बन चुकी सड़क पर
सहमे.. सहमे.. सरकते
टेक्सी ऑटो  बस
और वो लोकल...
जो दुनियाँ को शहर की भागम भाग
ज़िन्दगी से रूबरू कराती
बंद... बेबस... बेचैन...
जलमग्न पटरियों पर खड़ी
वक़्त को कोसती
मुसाफ़िर मुसीबत में
"माया" मुश्क़िल में
भीगी ज़मीन
भीगा जिस्म
पानी पानी प्रलय घोल
मंज़र मेरा मुझे हिलाता
क्यों गगन
हो गया बेरहम
सवाल सवालों से सवाल करता
टूटा नक़्शा मेरा मुल्क़ से
लाश लाश ज़िन्दगी
समंदर... शहर... अश्क़
आज भी उन चोटिल अरमानों के
निशान कहता
शहर की वो बरसात
शहर की वो बरसात
शहर की वो बरसात

सत्या "नादाँ"