मैं "हिंदी" !!!
भारत के भव्यता की मै वो भारती
जो बढ़ी ना मरी.......धरा पर धरी
अतीत के आस्था की वो आरती
समय के शोर में… नवीन दौर में
मन मोड़ती..... गाँव - शहर छोड़ती
उलझने सफ़र में.........
घूँघट के पट उड़ेलती...........
विकास की.... ना विश्वास की
बस रह गई "पिछड़े क्लास" की
मैं हिंदी... मैं हिंदी... मैं हिंदी...
बिख़रते…. बिख़रते जा रही
भारत के भव्यता की मै वो भारती
जो बढ़ी ना मरी.......धरा पर धरी
मैं हिंदी... मैं हिंदी... मैं हिंदी… !!!
सत्या "नादाँ"
भारत के भव्यता की मै वो भारती
जो बढ़ी ना मरी.......धरा पर धरी
अतीत के आस्था की वो आरती
समय के शोर में… नवीन दौर में
मन मोड़ती..... गाँव - शहर छोड़ती
उलझने सफ़र में.........
घूँघट के पट उड़ेलती...........
विकास की.... ना विश्वास की
बस रह गई "पिछड़े क्लास" की
मैं हिंदी... मैं हिंदी... मैं हिंदी...
बिख़रते…. बिख़रते जा रही
भारत के भव्यता की मै वो भारती
जो बढ़ी ना मरी.......धरा पर धरी
मैं हिंदी... मैं हिंदी... मैं हिंदी… !!!
सत्या "नादाँ"