Wednesday 2 January 2013

मै तो ज़िंदा हूँ...

 मै तो ज़िंदा हूँ...

छोड़ कर चली गई है
बस मेरी साँसे
पर मै आज भी ज़िंदा हूँ
तुम्हे देखना है मुझे
तो उन आँखों में आखें डालो
जो डरी-सहमी बेबस है मगर
इंसाफ की आस में खड़ी है
वो भी हैं
किसी की बहन किसी की बेटी
पर मेरे जज़्बातों में सिमट
अपने हालातों को लड़ रही हैं
मैं हूँ उन आवाज़ों में
जो बड़ी खामोश रहती थी कल तक
आज आक्रोश में डूबी हैं
मैं हूँ उन तख्तियों में
जिनके शब्दों में ज्वाला
दिलों में आस है
मैं हूँ उस भीड़ में
जहाँ पसरा था कभी सन्नाटा
आज शोर ही शोर है
मेरे नाम का
तो कौन कहता हैं
मैं मर गई हूँ
मैं तो ज़िंदा हूँ
सुबह की नई की किरण बनने को
मै तो ज़िंदा हूँ
आंसुओं की नदी में
ख़ुशी का समन्दर बनने को
मै तो ज़िंदा हूँ
लोकतंत्र की नई
मिशाल बनने को
मै तो ज़िंदा हूँ......मै तो ज़िंदा हूँ.............


सत्या "नादान"

Tuesday 1 January 2013

"भविष्य - भुत के भूचाल से परे हो"

"भविष्य - भुत के भूचाल से परे हो"

मै जानता हूँ
अतीत का वो अँधियारा पल
निर्भयता का दमन होता स्वर
सिसक-सिसक कर रोती वो आँखें
तख्तियों में छिपी बेज़ुबां सांसे
मुल्क़ का वो दर्दनाक सच
जिसने खोल दी घूघंट की पट
मै भुला नहीं हूँ कुछ
किन्तु चाहता भी नहीं
कि भविष्य भी कभी
देखे.....भूत की ऐसी यादें
इसलिए वर्तमान में
नई किरण से आँखें मिला रहा हूँ
मर्द की मर्यादा जीवित रहे
देश से मिटे पुरुष-प्रधानता का सच
इसलिए शब्दों की शीतलता
से आशा के गीत गा रहा हूँ
नया साल है नया पहर है
क्यूँ न हम ले एक नया संकल्प
विचार अटल है विश्व पटल है
नारी...मंजिल की राह-डगर है
सभ्यता...सम्मान की मज़बूत पकड़ है
इस पकड़ को कभी हम ना होने दे कमज़ोर
इस पकड़ को कभी हम ना होने दे कमज़ोर !!!!

सत्या "नादान"