Sunday 1 April 2012

महँगाई-"मोहन" खाय जात है !!!

मँहगाई -"मोहन" खाय जात है !!!

आज अभी-अभी ख़त्म हुई क्लोजिंग की आफ़त से निज़ाद मिली ही थी की श्रीमती जी का फोन आ गया हुक्म था की आते वक़्त जरा विजय सेल्स में "हिटाची" की एक एसी बुक करवाई है उसे पैसे देकर लेते आईएगा...मैंने कहा अरे भाग्यवान इतनी जल्दबाज़ी भी क्या कल छुट्टी है आराम से ले लेंगे तभी उत्तर आया कहीं क्लोजिंग के चक्कर में ये तो नहीं भूल गए की रविवार से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है...बस इतना सुनते ही याद आया १६ मार्च को पेश हुआ दादा का आम बजट जिसमे उत्पाद-शुल्क और सेवा-कर में वृद्धि का फ़रमान था....बस फिर क्या था पुरे रास्ते सोच में डूबा रहा कभी सब्जी-दूध मँहगे होने की चिंता तो कभी पप्पू के फ़ीस की फ़िक्र तो कभी मैडम के आभूषणों की.......क्या करे आम-आदमी बिचारा महँगाई का मारा......

आम आदमी का हाथ दिखा
मँहगाई का हाथ थमा दिया
घोटालो पर घोटाला तुमने किया
भरपाई का बजट हमें पकड़ा दिया
वाह रे सरकार के 'मनमोहन'
स्वंय लचर तो बने रहे
जनता को भी लाचार बना दिया
जनता को भी लाचार बना दिया.......

सत्येन्द्र "सत्या"

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