Thursday 20 March 2014

धोनी "कप तान" दो !!!


धोनी "कप तान" दो 



सोच को संवार दे
मुश्किलों को टालकर
धोनी अब दे दना दन
बल्ले से बॉल पर 
विराट विक्राल है 
युवराज तैयार है 
शिखर भुजाएं खोलता 
रविन्द्र प्रलय को बेक़रार है 
संग्राम शौर्यता का प्रहार है 

उमंग दे मलंग दे 
जीत को तरंग दे 
विश्व के भूगोल पर 
तिरंगा ललकार कर 
ये खेल है प्रचंड 
आँख आँख में ठसन 
रण के मैदान से 
दुश्मनो को पछाड़कर 
अपने हौसले को उड़ान दे 
अमूल्य है अतुल्य है 
तू भारतीय का भव्य ग़ुरुर है  
इतिहास तेरी शक्ति पहचानता 
आज वर्तमान को तू एक इम्तिहान दे 
शान से अभिमान से 
फिर एक बार तू 
लड़ जा जहाँ से 
ट्वेंटी ट्वेंटी के घमासान को
विजय का मशाल दे 
सोच को संवार दे 
मुश्किलों को टालकर 

सत्या "नादाँ"

Saturday 15 March 2014

"होली" 272 ...... "दो साथ दो"

"होली" 272 ...... "दो साथ दो" 

राहुल बाबा कुर्ता बदलो
खांसी बार बार केजरी को आती है
मोदी मुद्दा चाय पे चर्चा
जनता बेचारी मधुमेह की मारी है
अम्मा छोड़ी लेफ्ट की लीला
अण्णा बोले ममता बड़ी प्यारी है
५६ की छाती ले डटे मुलायम
कि साइकल ही सत्ता की असल सवारी है
लालू चारा खा गए सारा
लालटेन बिन तेल के हारा
भगदड़ ने मचाई भारी तबाही
हाथ का साथ अब नहीं है भाता
करुणा राम को विलास लुभाता
हाथी की माया खोने लगी है
तेलंगाना पर टक्कर होने लगी है
रोज़ बवाल रोज़ सवाल
IPL  भागा देख सियासी त्यौहार
ना मन मोहन बोले
ना मेडम डोले
अमर जया हैंडपम्प को दौड़े
गुरूजी गुपचुप ये कैसी मुक्ति
नवीन ना चाहें किसी की झप्पी
पागल उद्धव देख राज की मस्ती
मेहबूबा को बर्फ में गर्मी सताए
पिता पुत्र की कॉन्फ्रेस तनिक ना भाए
सुशासन बाबू सिंघासन निहारे
अनुभव के तीर से PM केंडिडेट पछाड़े
प्रकाश अधूरा नाटक पूरा
तीसरा मोर्चा सपनो का बबूला
चुनावी हल्ला हर तरफ है भारी
रैली रैला चौपाल तैयारी
रैली रैला चौपाल तैयारी  !!!

सत्या "नादाँ"



Saturday 8 March 2014

कहाँ अधिकार है मेरा ???

मेरा अधिकार कहाँ है
बचपन से जीवन तक
हर बार समझौते की रस्म बनती हूँ
कभी खुशियों को खोकर
कभी अपनों में पराया होकर
हक़ मिलता नहीं
हक़दार बदल जाते
पंखों को खोलते ही
चिड़िया के संसार बदल जाते
बस वो फ़िज़ा जस की तस बनी रहती है
जहाँ होता इतना कुछ
कि इन आँखों की नमी नहीं मरती
वो शोर करते हैं
बहुत ही ज़ोर करते हैं
नाम देते हैं दुर्गा
और मेरे शक्ति को कमज़ोर करते हैं
सियासत आदत सी है उनकी
हवस सरे आम सड़क पर लोग करते हैं
बस यही मान है मेरा
यही सम्मान है मेरा
मैं दबी हूँ..... मैं झुकी हूँ
कहाँ अधिकार है मेरा
कहाँ अधिकार है मेरा
कहाँ अधिकार है मेरा ???

सत्या "नादाँ"

Wednesday 5 March 2014

बज गई है बाँसुरी.... लोकतंत्र के संग्राम की !!!



बज गई है बाँसुरी
लोकतंत्र के संग्राम की
ज़ोर है शोर है
प्रश्न घन घोर है
सियासत की साख पर खड़ा
भविष्य का भूगोल है
दिशा दिशा गूंजती
मत लत नहीं अधिकार के बोल हैं
मलंग में तरंग में
गीत में गगन में
गाँव गाँव गंभीर है
शहर शहर चिन्ह है
भारती भव्यता तलाशती
नीति के सियासी त्यौहार से
अस्त्र है.... शस्त्र है
ये विचारों का कुरुक्षेत्र है
विशाल भी विराट भी
विश्व विख्यात यह
स्वतंत्रता का श्रृंगार है
बज गई है बाँसुरी
लोकतंत्र के संग्राम की
बज गई है बाँसुरी
लोकतंत्र के संग्राम की !!!

सत्या "नादाँ"