इस रात को क्या हो गया है
आँखों में न नीद है
न दिल को सकूँ है
गुमनामी के अंधेरों में पड़
शहर भी अपनी रंगत खो रहा है
अब तू ही बता दे 'चाँद'
कि इस रात को क्या हो गया है....
मंजिल की तलाश में
गुमराह बना राही
माया में मग्न होकर
जो अपनों से दूर हो गया है
अब तो मन मेरा भी
विरानी की वेदना में डूब
बहुत रो रहा है..बहुत रो रहा है..
अब तू ही बता दे ए 'चाँद'
इस रात को क्या हो गया है..
इस रात को क्या हो गया है..
सत्येंद्र "सत्या"
आँखों में न नीद है
न दिल को सकूँ है
गुमनामी के अंधेरों में पड़
शहर भी अपनी रंगत खो रहा है
अब तू ही बता दे 'चाँद'
कि इस रात को क्या हो गया है....
मंजिल की तलाश में
गुमराह बना राही
माया में मग्न होकर
जो अपनों से दूर हो गया है
अब तो मन मेरा भी
विरानी की वेदना में डूब
बहुत रो रहा है..बहुत रो रहा है..
अब तू ही बता दे ए 'चाँद'
इस रात को क्या हो गया है..
इस रात को क्या हो गया है..
सत्येंद्र "सत्या"