Tuesday 10 February 2015

है "आप - आप" की धूम !!!

जज़्बा है दीवानों सा
है "आप - आप" की धूम
दिशा - दिशा डोर बंधने लगी
खिलने लगे हैं "केजरी" के फ़ूल
सोया - सोया सारा समाँ
आज गा रहा...
आम - आम के गूंज
झाड़ू - झाड़ू झंकार दे रही
घर - घर खिली आस की धूप
मुद्दा - मुद्दा मूर्छित पड़ा था कल तक
आज मौसम - मौसम छाने लगा
ख़ास ख़ास.. ख़ौफ़ ख़ौफ़ में
नींद - नींद आप आने लगा
धरा.. धरा.. धरा का धीरज
इंक़लाब बन अंबर छाने लगा
बस वर्षा - वर्षा बाकी है आनी
बहाने जमे भारती के धूल
लोकतंत्र आज निखर पड़ा
दिल्ली की ख़ुशियाँ अब नहीं है दूर
आहिस्ता... आहिस्ता
सब चल चले उन संग
तुम भी आना...
जब एहसास हो जाए वो भूल
ना टोकेंगे... ना रोकेंगे..
"भारत - भारत" सबका उसूल
जज़्बा है दीवानो सा
है "आप - आप" की धूम...

सत्या "नादाँ"