Saturday 24 March 2012

'स्वार्थहीत' नहीं 'जनहीत' में देखा "पॉर्न" !!!


एक नया समाज लाएँगे  

'धर्म' की सड़क पर 'अश्लीलता' की गाड़ी को 
नेताजी चलाये जा रहे हैं दौड़ाए जा रहे हैं
जनता बेचारी भूल गयी दिल की बिमारी 
जो 'डर्टी-डर्टी' कह चिल्लाएँ जा रही है..

अरे!भाई हम देश के नेता हैं
कानून बनाना हमारा ठेका है
तो शर्म क्यूँ करे
अश्लीलता से क्यूँ डरे
जब मुन्नी-चमेली का बज रहा बाजा है
शीला की जवानी का चारो ओर शोर शराबा है..


फ़िर "पॉर्न" से कैसी परहेज!!
हम इसे भी सबको दिखायेंगे
इस पर नया विधेयक लायेंगे
फ़िर कोई रोक न टोक
न ही किसी प्रकार का होगा दोष


'सभ्यता'तो एक बीमारी है
जिसमे डूबी जनता सारी है
इस अन्धविश्वास को भगाएँगे
समलैंगीगता का पाठ पढ़ाएंगे
सबको रगींन बनाएँगे
एक नया समाज लाएँगे
एक नया समाज लाएँगे...

चुकि: हमे इस "बिल" को देश में लाना है
इसलिए 'घर' में नहीं 'सदन' में देखतें है
जल्द ही इसे अम्लीय-जमा पहनाएंगे
सभी को पॉर्न दिखाएँगे
सभी को पॉर्न दिखाएँगे....


आप सुर से सुर मिलाये जा रहे हो
विपक्ष के साथ गाए जा रहे हो
हम है की 'स्वार्थहीत' नहीं
'जनहीत' में इसे देख रहे हैं
'जनहीत' में इसे देख रहे हैं....


सत्येन्द्र "सत्या"

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