
तेरे प्यार के रंग में रंगा हूँ मै
तेरे हर मुस्कान से हंसा हूँ मै
तू शायद "रूबरू" न हो मेरी तड़प से
तू शायद "गुफ़्तगू" न हो मेरी डगर से
कि,दिल भी मेरा अब तेरा हो गया है
मेरी हर रूह में नाम तेरा रह गया है..
तुझे भूल जाना मेरे बस में नहीं
तुझे गले लगा सकू इतना वक़्त भी नहीं
अब तू ही बता की मै क्या करू
हम दोनों की बातें किससे कहू
न तुझे 'होश' है न मुझे 'होश' है
न तेरा 'दोष' है न मेरा 'दोष' है...
प्यार की राह में दिल भी मदहोश है
जिसे न घर का पता न
शहर का रास्ता मालूम बस
चाहत की दीवानगी में जिए जा रहा है
न चाहकर भी आंसुओ को पिए जा रहा है ....
सत्येन्द्र "सत्या"
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