"मै तुमसे प्यार करता हूँ "
जुबाँ कह नहीं पाती ,
आँखें बिन देंखे रह नहीं पाती,
पलके झपकती ही नहीं,
न जाने यह कैसी बेचैनी है ,
कि तुझे देख सब ओझल हो जाता है!
मन कि ध्वनितरंगो में उफान आने लगता है,
धड़कती इन सांसों में तीव्रता का तूफान आने लगता है,
और इस दिल की नादानी तो देखो ,
की तुम्हरी प्रतिमा को आँखों से चुराकर मचलने लगता है,
तेरी मुस्कराहट से अपने प्रसन्नता को रसमय करने लगता है!
पर कहने से न जाने क्यूँ घबराता है,
जो प्यार को दिल में दबाए फ़िरता है,
इजहार की कोशिशें तो बहुत करता है ,
किन्तु न जाने क्यूँ हर कोशिशों में फ़िसलता है!
यह कैसे चोट खाए दिल की पीड़ा है,
कि चाहकर भी कुछ कह नहीं पाता,
कि मै तुमसे प्यार करता हूँ ,
कि मै तुमसे प्यार करता हूँ
कि मै तुमसे प्यार करता हूँ...................................सत्येन्द्र "सत्या"