Monday 26 November 2012

"साज़िश की वो रात"

***26/11 के वीर सपूतों के शहादत को सलाम एवं सभी को भावपूर्ण श्रद्दांजलि***

साज़िश की वो रात
जिसने सोने न दिया कभी
समंदर से ज़मीन तक
दहशतों का मंज़र
अमन के आड़ में
आतंक की दस्तक़
ज़िंदगी को जीते जी
मौत नज़र आने लगी
आग-बारूद-गोलियों में
मुल्क़ की शांति समाने लगी
हंसती-दौड़ती-बोलती साँसें
सहमी-बेबस-रोती सी
शहर में छाने लगी
सहमी-बेबस-रोती सी
शहर में छाने लगी.....


(शुक्र है माँ के उन शेरों का जिन्होंने देश की रक्षा के लिए स्वयं  को निक्षावर कर दिया)

वो तो माँ को यकीन था
अपने वीर सपूतों पर
जो दुश्मन को दीवार
भेंद भी मार गिराएंगे
प्राणों की आहुती दे देंगे
पर लहराता तिरंगा
कभी न झुकायेंगे

प्राणों की आहुती दे देंगे
पर लहराता तिरंगा
कभी न झुकायेंगे !!!!!!

सत्या "नादान"