Friday 23 March 2012

प्यार "समर्पण" का नाम है

प्यार "समर्पण" का नाम है 


जब वियोग की आग में तपस्या के, अश्रु भी सरलता के मोती बन जाए ! 
जब कलम की गई कलियों, में भी फूल खिल जाए ! 
जब दो ह्रदय दूर होकर, भी परस्पर मिलते रहें ! 
जब दूर होकर भी अम्बर, धरा को अपने प्रेम से भिगोती रहे !

तो बस इसे  ही प्यार का, संगम समझाना प्रिये ! 
तो बस इसे ही प्यार का, संगम समझाना प्रिये !





सत्येन्द्र "सत्या"

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