Monday 30 April 2012

मै मजदूर हूँ!!!

मै मजदूर हूँ!!!


बड़ी सिज्जत से सवांरा
मैंने इस जहाँ को
गाँव की सड़कों
शहरों के सौन्दर्य-शान को

मेरा श्रम आपकी फसलों में है
मेरा श्रम इन गगन छूती इमारतों में
मेरा श्रम मुल्क के विकास में है
मेरा श्रम उज्वल ज्योति के प्रकाश में
मेरा श्रम नहीं तो कुछ नहीं
जो मेरे श्रम से चलता प्रगति का चक्का

किन्तु इतना श्रमिक होकर भी
स्वयं विलासिता से दूर हूँ
इन्ही के हाथो से चलते
ये कल-कारखाने
इन्ही हाथों ने ही रखी पूंजीवादियों की नींव है
पर यहीं  हाथ आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं
मुझसे ही होता है आधुनिक भारत का निर्माण
पर ना बन सका इस समाज की पहचान
क्यूंकि मै मजदूर हूँ
क्यूंकि मै मजदूर हूँ

सत्येन्द्र "सत्या"

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