क्यूँ आग में "आमरी" ???
अर्धजले शरीर को बचाने के लिए उसके परिजन उसे अस्पताल में भर्ती करते हैं कि शायद वह बच जाए पर समय की विडम्बना देखिए कि जिस आग के घाव पर मरहम लगवाने के लिए वह अस्पताल गई उसी अस्पताल के लापरवाही ने उसे ज़िंदा जला डाला… ख़बर की प्रस्तावना से आपको घटना का अंदाज़ा तो हो ही गया होगा !!!
गुरुवार रात को कोलकत्ता के आमरी अस्पताल (AMRI HOSPITAL) में लगी आग ने अपनी लपटों से तबाही का ऐसा मंज़र ढाया कि,यह आग एक ऐसे अग्निकांड में तब्दील हो गई,जहाँ लाशों का ताँता लगाने लगा और देखते ही देखते इस आग में ९२ जानों की आहुती चढ़ गई इस
अग्निकांड ने अपने साथ कई प्रश्नों को भी जन्म दिया,मसलन कि,
१) समूचे देश के चिक्कित्तसालय अपनी आतंरिक सुरक्षा के लिए कितने सक्षम है?
२) हमारे अग्निशामक केंद्र की स्थिति क्या है?
४)क्या इन घटनाओ के गुनहगारों को कड़ी सज़ा मिलेगी कि फ़िर कभी ऐसा हादसा न हो ?
ये कुछ ऐसे सवाल है जिनकी तह तक जाने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है, क्यूंकि ऐसा नहीं की यह हादसे पहली बार हुए हो, इससे पहले भी कोलकत्ता में भयंकर आग लग चुकी है, और कुछ दिनों पहले मुंबई में क्या हुआ हम सब ने देखा, इस अग्निकांड के बाद कोलकता महानगर पालिका ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया, प्रबंधंको को इस मामले में आरोपी भी बनाया लिया गया,पर इन सबके बिच जो सवाल अभी ज्यों का त्यों है वह यह है कि, उनको परिवारों को क्या जिन्होंने दूसरों की गलती के कारण अपना सब कुछ खो दिया ???
आग की लपटों ने ऐसा जलाया मुझे
कि कल तक दूसरों को बचानेवाली ने
आज ख़ुद अपनी बर्बादी का तमाशा देखा
उनके अश्रु तार तार बहने लगे मुझ पर
जबसे सबने मुझ मुर्दाघर का नज़ारा देखा...........................................................
सत्येन्द्र "सत्या"
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