Saturday 25 August 2012

"दिल्ली" तु बहुत "हसीन" है

दिल्ली तु बहुत हसीन है
थोड़ी चुलबुली थोड़ी शरारती 
बार-बार प्यार से निहारती 
अपने तो अपने 
मुसाफिरों के दिलों को भी ताड़ती 
तु प्यार की  रंगत से रगीन है 
दिल्ली तु बहुत हसीन है...

तेरा मो-मोस इतना भाता 
कि बिन खाए रह नहीं पाता 
तेरी रौनक एैसी छाई 
क्या हिन्दू क्या मुस्लिम 
क्या सिख और इसाई 
तेरे दामन से जो भी लिपटा 
हो गया भाई-भाई...

लाल किला हो या इंडिया गेट 
कुतुबमीनार हो या संसद भवन 
तु प्राचीनता में नवीनता की 
अद्दभूद धरोहर है 
दिल्ली तु खुशियों का अनमोल शहर है 
दिल्ली तु खुशियों का अनमोल शहर है......

तुझे छोड़ जाने का दिल मेरा 
भी करता नहीं 
पर क्या करूँ कोई तो है 
एक शहर में...जो मेरे बिना रह सकता नहीं 
जो मेरे बिना रह सकता नहीं !!!

सत्या "नादान"

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