Saturday, 11 August 2012

मुंबई के 'आज़ाद' को आज क्या हो गया ???


मुंबई के 'आज़ाद' को आज क्या हो गया 
कहीं पत्थर... कहीं आग
किसी का गुस्सा..किसी का जज़्बात 
शोलों में क्यों बदल गया 
बड़ी हंसी -मासूमीयत से जीने वाला 
शहर का वो अनमोल हिस्सा 
किसकी नज़र से बिखर गया 
किसकी नज़र से बिखर गया........

क्यूँ अमन का आसरा 
हिल रहा साज़िश की मार से 
क्यूँ शहर की चिड़ियाँ 
डर.. बैठ जाती हैं.
हर दफ़ा बादलों के 
बदलते बयार से  
क्यूँ मोहब्बत को मौत का 
कपड़ा पहना रहे हैं कुछ लोग 
क्यूँ प्रेम के वादियों में 
हिंसा के गीत गा रहे कुछ लोग 
हिंसा के गीत गा रहे कुछ लोग.....

क्या इस शहर की शांति 
किसी के आँख में समा रही 
क्या नफरत के आशिकों को 
प्यार की ज़िन्दगी रास नहीं आ रही 
क्या वो समझ रहें 
कि हर जगह...
ख़ामोशी का ही ख्याल है 
महज़ कुछ क्षण का दुःख 
फिर भूल जाते..सब मलाल है 
कहीं इस बात पर ही इतरा कर 
अपने मंसूबो की दिवार 
तो नहीं बना रहे वो लोग 
कहीं इस बात पर ही इतरा कर 
अपने मंसूबो की दिवार 
तो नहीं बना रहे वो लोग..........

अगर ऐसा है तो 
मै उनसे कहता हूँ 
कि तुमने देखा है मेरा बस हौसला 
मेरे आग की लौ अभी देखी नहीं
तुमने देखी है समंदर की शीतलता 
पर उसके लहर का कहर देखा नहीं 
हम तो बस "नादान" हो जाते हैं प्यार में 
पर वक़्त की बैचनी में 
बिखरे न आज है...ना कल थे कभी 
पर वक़्त की बैचनी में 
बिखरे न आज है...ना कल थे कभी !!!

सत्येन्द्र "सत्या"


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