Wednesday 1 August 2012

"राखी का बंधन 'अनमोल' है"


"राखी का बंधन 'अनमोल' है"

तू मुझसे छोटी
बड़ी चंचल-ज़िद्दी
घर की अनमोल 'मोती' है
सबके सपने सजे तुझसे
सबकी आँखों में तेरा ही बसेरा है
तेरे 'शरारत' के रंग से
रंगी ये दीवारें
तेरे ख़ुशी की किरण
हम सबका सबेरा है...

पापा की 'दुलारी'
मम्मी की 'चिरैया' (चिड़िया) है तू
एक दिन 'उड़' जाएगी घर से
मालुम है उसे जानकार भी
तुझे अपनी "जान" कहती है...

मेरा मन भी बंधा है तेरे प्यार से
तेरी उमंग इस त्यौहार से
जो तेरे स्नेह की 'राखी' पाकर
एहसास हो रहा इस मन को
कि बस 'फ़ासले' बढ़ गए
इस 'शहर' से उस 'शहर' के
पर 'बंधन' के दुलार की 'दुआ'
कल भी थी.....आज भी है
बहन तेरी राखी कल भी
'प्रेम के परम्परा' से 'बेमिसाल' थी
आज भी 'बेमिसाल' है..आज भी 'बेमिसाल' है.....

सत्येन्द्र "सत्या"

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