Saturday 21 July 2012

"अम्मी मै भी रखूँगा रोज़ा"


"अम्मी मै भी रखूँगा रोज़ा"

अम्मी 'नादान' कह मत रोक मुझे
मै भी 'खुदा' से प्यार करता हूँ
उसकी याद आती है इतनी
कि हर रोज़ हर दफा
घर से मदरसे तक
हर पल की 'नमाज़' पढ़ता हूँ
अम्मी 'नादान' कह मत रोक मुझे.......

मै जानता हूँ तेरा दिल
जो धड़कता है मेरे लिए
बड़ा ही 'नाज़ुक' और 'नवाज़िश' है
पर तू ही बता कैसे भूला दूँ
मै तेरी उस 'तालीम' को
जो इंसान को 'अज़ीज़' बना
'खुदा' के 'डगर' पर चलने
कि करती गुज़ारिश है
अम्मी 'नादान' कह मत रोक मुझे.....

तू ना डर अम्मी..मुझे कुछ न होगा
अपने 'चाँद' पर कम से कम
इतना तो कर भरोसा
दे 'ईशाद' मुझे कि मै
खुदा के पनाह में जा सकूँ
"रमज़ान" का 'क़ाईदा' अपना
इस मन को 'पाक' बना सकूँ
इस मन को 'पाक' बना सकूँ.......

खुदा की 'तासीर' मान
त’अज्जुब  की ना बात कर
मेरी उम्र पर ना जा तू
मेरे इरादे का ख़्याल कर
बस यही 'अऱ्ज' मेरी है तुझसे "अम्मी"
कि 'नादान' कह मत रोक मुझे
कि 'नादान' कह मत रोक मुझे.......

सत्येन्द्र "सत्या"

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