Monday 2 July 2012

मै भी कभी बच्चा था...




बचपन की मस्ती 
किताबों से सजी बस्ती
एक शर्मीली सी लड़की
जिसे देख बनता था मै हीरो
उस छड़ी की मार
वो गणित का ज़ीरो
आज भी दिल को बहुत हँसाता है...


क्लास का ऐसा लफंगा
जो कलम की करता हेरा-फेरी
जिसके शर्ट की होती टूटी बटमें
बेवजह बैठ उन गप्पों का लगाना
आलस के मारे नोट बुक ना बनाना
रोज़ पड़े थप्पड़ रोज़ सुनू ताना
घर तक पहुँच जाती कम्पलेनों की फ़ाइल
कि आप के बेटे का future नहीं अब bright
ऐसे थे अपने शरारत के दिन
कैसे भूल जाऊं वो बचपन का जमाना
                       वो बचपन का जमाना.....

वो क्रिकेट का मैदान
जहाँ कोई चिटिंग का बादशाह
कोई नौटंकी की दुकान
वो आपस की मारा-मारी
पर कभी टूटे न दोस्ती साली
सड़कों पर देखते ही परियाँ
मुहं से निकल जाती थी सीटी
हम कभी इतने थे निक्कमे..इतने कमीने 
आज यकीन नहीं होता
वो बचपन का जमाना
वो बचपन का जमाना !!!!

सत्येंद्र "सत्या"



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