Thursday 19 July 2012

"जब प्यार पनपता है"

"जब प्यार पनपता है" 



तुझमे शर्म बहुत है मुझमे हया नहीं
तुझमे चमक बहुत है मुझमे नशा नहीं
तू सीधी सुन्दर शालीन बहुत है
पर मै  भी मन का मैला नहीं...

नैन से नैन मिलते रहते तेरे-मेरे
हर पल हर घड़ी इस शहर में
जिसमे कसूर तेरा और मेरा नहीं
ये तो जवाँ दिल की तड़प
और वक़्त की हिमाकत का जादू है
जिस पर ज़ोर तेरा और मेरा नहीं....

मै कहने की कोशिश में रह जाता हूँ
तू कहकर भी नादान हो जाती है
नज़रों की दूरियों को पता ही नहीं चलता
कि दिल में कितनी नज़दीकियाँ हो जाती है
शायद इसी को प्यार कहते हैं "प्रियम्वदा" 
कि हम चाहते हैं कि छिपा लें इसे दुनियां से
पर यह पुष्प की वो सुगंध है
जो फैलती रहती है खिलती रहती है
जो फैलती रहती है खिलती रहती है.........................

सत्येन्द्र "सत्या"

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