Saturday 9 June 2012

"मेरी गली से गुज़रने की गुस्ताखी न करना"

"मेरी गली से गुज़रने की गुस्ताखी न करना"

तुम हर रोज़ देख मुस्कुराया न करो
नादान दिल फिसल जाएगा
नैनों से नगमे बरसाया न करो
शांत मन चंचलता से भर जाएगा
'माना की तुम्हारी सुन्दरता में जादू है'
'माना की तुम्हारी सुन्दरता में जादू है' 
पर खूबसूरती का रस यूँ ही बहाया न करो
वरना सारा शहर तुम्हे पाने को मचल जायेगा.....

और मै तो मुसाफ़िर हूँ
इस अजनबी शहर में
कभी स्वयं पर वश ना रहा
तो ज़ुल्म हो जाएगा
तुम यूँ रंग दिखाया न करो
वरना शरीफों से भी गुनाह हो जायेगा....

तुम्हारी चाहत में पड़
न जाने चले गए कितने
बस गुजारिश है "सत्या" की तुमसे
कि रास्ते बहुत मिल जायेंगे
तुम्हे जानेवाले
बस मेरी गली से होकर गुज़रने  की
गुस्ताखी न करना

बस मेरी गली से होकर गुज़रने की
गुस्ताखी न करना..........


सत्येंद्र "सत्या"

1 comment:

  1. u write such kinda stuff too,i didn't know that..:)
    well..its nice..!

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