
साज़िश की आग ???
कैसी रची 'साज़िश'
कि उठ रहा है धुआँ
जल रही 'सबूतों' की दास्ताँ
अगर मैं मान भी लूं इसे एक 'हादसा'
अगर मैं मान भी लूं इसे एक 'हादसा'
तो 'क्यूँ' हुआ ये हादसा
शहर के उस 'मकान' में
शहर के उस 'मकान' में ???
सत्येन्द्र "सत्या"
राजनीति......

वाह रे राजनीति!!!
तेरा मिजाज़ बड़ा निराला है
न कोई दोस्त न कोई दुश्मन
सब अवसरवाद का ड्रामा है
कल के कठोर आज मुलायम
दादा ख़ातिर दीदी छोड़ी
दिखा दिया कुश्ती का खेल
विवादों की रेला रेली में
ममता को बोला "एकला चलो"
और स्वयं को कर दिया सेल....
वाह रे राजनीति!!!
तेरा मिजाज़ बड़ा निराला है
सत्येन्द्र "सत्या"
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