Friday 17 February 2012

                            शिवसेना के 'नए शेर' की दहाड़.....
(मुंबई महानगर पालिका पर फ़िर कब्ज़ा, सेना+भाजपा+आरपीआई गठबंधन को मिली १०७ सीटें) 

कल का दिन मुंबई की राजनितिक सियासत के लिए बेहद महत्तवपूर्ण था, किसी के चहरे पर जीत की ख़ुशी तो कोई हार के ग़म से निराश था और हो भी क्यूँ न सवाल 'मुंबई की सत्ता' का जो है..लगभग २० हजार करोड़ के सालाना बजट वाली मुंबई महानगर पालिका देश की सबसे धनी नगर पालिका है, इसलिए 'महाराष्ट्र' ही नहीं "राष्ट्र" के भी कई राजनितिक दिग्गजों की नज़र इस पर रहती है..पिछले १७ सालों से एकक्षत्र राज करने वाली शिवसेना के लिए इस बार के चुनाव में चुनौतियाँ कम न थी एक तरफ उसे अपनी सत्ता को बचाए रखने तो दूसरी ओर विपक्ष के साथ राज ठाकरे की पार्टी मनसे से मिलती अड़चनो का सामना भी करना था,किन्तु इन सबके बीच एक अहम सवाल था शिवसेना के कार्यकारणी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नेतृत्व का.. कि क्या उद्धव शिवसेना को बालठाकरे कि तरह चला पाएंगे?? क्या इस बार के बीएमसी चुनाओं में भगवा रंग फ़िर छाएगा??




और इन सभी अटकलों को दरकिनार कर उद्धव ठाकरे ने इस बार के मनपा चुनाओं में अपने शक्ति का परिचय दिया और शिवसेना का बीएमसी पर १७ सालों से निरंतर चला आ रहा राज पुनः स्थापित करने में कामयाबी हासिल की... इस बार के बीएमसी चुनाओं में नया समीकरण भी देखने को मिला जहाँ एक ओर सेना+भाजपा गठबंधन ने दलित वर्ग को अपने साथ लाने के लिए रामदास आठवले की पार्टी आरपीआई को अपने गठजोड़ में शामिल किया वहीँ दूसरी ओर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी साथ मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया जबकि राज ठाकरे ने इन सबसे अलग रह कर अकेले ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया...


किन्तु इतने अथक प्रयासों के बावजुद भी कांग्रेस+एनसीपी गठबंधन को सत्ता की डगर तक पहुचने में कामयाबी न मिली और उद्धव ने उन सभी कयासों का जवाब देते हुए अपने करिश्माई नेतृत्व शिवसेना को बीएमसी चुनाओं विजय दिलाई.............


जीत कर दिखा दिया
शत्रु को रुला दिया
मुंबई की पटल पर उसने
भगवा फिर लहरा दिया !!!!!


   सत्येन्द्र "सत्या"

मै आप सभी को एक जानकारी दे देना चाहता हूँ की मेरा किसी पार्टी विशेष से कोई लेना देना नहीं है मैंने यह लेख उद्धव ठाकरे पर इसलिए लिखा की क्यूंकि उनके नेतृत्व में ही शिव सेना ने यह चुनाव लड़ा था,और हम जब हारने पर किसी की आलोचना कर सकते है तो जितने पर उसे बधाई देने में दिक्कत क्यूँ ????


                                                                                                                       

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