Tuesday 14 February 2012

तू "वोट" से "प्रहार" कर

                          "तू वोट से प्रहार कर"
                               
मात्र वोट नही ब्रम्हास्त्र है 
प्रजा तंत्र का यह अस्त्र है 
तू वोट से प्रहार कर 
अधिकार का सत्कार कर 
इतिहास भी बदला है और बदलेगा 
बस समय का इंतज़ार कर 
तू वोट से प्रहार कर... तू वोट से प्रहार कर...



तेरी चेतना तेरा बल है 
तेरा वोट तेरा स्वर है 
उसको तू बढ़ाये जा 
देश को सजाये जा
तो अंधकार ढक जायेगा
उम्मीद का सूरज उग जायेगा
सिर्फ तू वोट से प्रहार कर...तू वोट से प्रहार कर...



रुका क्यूँ है आगे चल 
विश्वास की बांह पकड़ 
कर प्रण बदलने का 
अपने माटी को सवारने का 
"मत" को मत यूँ ही दान कर 
उसकी शक्ति का इस्तेमाल कर
तू वोट से प्रहार कर...तू वोट से प्रहार कर...

सत्येन्द्र "सत्या"

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