Sunday 3 November 2013

दीप दिया ज्योति जिज्ञासा....घर घर बसती एक अभिलाषा !!!

दीप दिया ज्योति जिज्ञासा
घर घर बसती एक अभिलाषा
जग भी रोशन मन भी रोशन
अंबर आँगन सब आकर्षण
राम की महिमा माँ का तपवन
दिशा दिशा गीतों के गुंजन
दीप दिया ज्योति जिज्ञासा
घर घर बसती एक अभिलाषा

विजय विराट विश्व विख्यात
दीप दीवाली भव्य भावार्थ
रूप रूप शोभीत करे
दिल की दिव्यता शांति का ताज
एक धरा पर एक ध्वजा पर
रंग रंग रौनक करे भारती का साज 
दीप दिया ज्योति जिज्ञासा
घर घर बसती एक अभिलाषा

नज़र नज़र ख़ोल रही है
ख़ुद जल चिराग जोड़ रही है
एक लय एक लौ एक लाली
रिश्ते रिश्ते राख़ न हो
उत्सव उमंग उदास न हो
जीवन जीते जगमग जगमग
धूप छाँव की सब क्यारी
यही बहार है यही त्यौहार है
दीयों दीयों की दिवाली 
दीयों दीयों की दिवाली 

दीप दिया ज्योति जिज्ञासा
घर घर बसती एक अभिलाषा

सत्या "नादाँ"

No comments:

Post a Comment