Thursday 12 January 2012

साहब बिजली दिला दो पढ़ाई करनी है !!!!!!!!!

साहब बिजली दिला दो पढ़ाई करनी है !!!!!!!!!


कल उत्तर प्रदेश के १० ज़िलों में ५९ सीटों ख़ातिर दुसरे चरण का मतदान होना है, जिनमे गोरखपुर,कुशीनगर, देवरिया,बलिया,गाजीपुर, मऊ,आजमगढ़,मुख्य है मै स्वयंम इस क्षेत्र से आता हूँ, इस कारण मेरे लिए दुसरे चरण के मतदान को लेकर उत्सुकता और बढ गई है, क्या यहाँ की जनता  भी खुलकर अपने अधिकारों का प्रयोग करेगी ?? और "प्रजा तंत्र" में "वोट तंत्र" की शक्ति के आस्था को और मज़बूत करेगी! राजनितिक दृष्टि से भी दूसरा चरण महत्तवपूर्ण है क्यूंकि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही की किस्म्मत का फ़ैसला भी कल वोटिंग मशीन में कैद हो जायेगा..............


कहते है भारत दौड़ रहा है पर ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है, शहरों की चकाचौंध भारत को इंडिया शाईनिंग का दर्ज़ा शायद दिला दे, पर भारत उदय अब भी बाकि है जहाँ लोग आज भी  उन मूलभुत आवश्यकताओं से वंचित है जिसे पाने का इंतजार उन्हें देश आजाद हो जाने के बाद से ही है पर आज तक वह इंतजार -इंतजार ही रहा, पिछले माह मै उत्तर प्रदेश के कुछ ज़िलों में गया था! जहाँ पर चुनाव प्रचार अपने पुरे शबाब पर था किन्तु जनता की तरफ से उठ रही मांगे सुन कर दंग रह गया जहाँ बच्चे नेताजी से यह मांग रहे थे की "साहब बिजली दिला दो पढाई करनी है" बस यह पृष्ठ-भूमि से प्रदेश के विकास का अंदाज़ा लगाया जा सकता है, कहना गलत न होगा की शायद यही कमोवेश कुछ और राज्यों का भी हो !

गाँव आज भी बदहाली में जी रहे हैं, दिमागी बुखार ने अकेले पूर्वांचल में हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया किन्तु  इसपर न कोई बोलने वाला है न इनकी कोई सुध लेने वाला है ! राज्य में स्वास्थ्य की सुविधाएं का हश्र तो "राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना" की लचरता से पता चलता है की कैसे स्वास्थ्य के नाम पे ५००० करोड़ रूपये गबन हो गए कुछ यही हल मनरेगा का भी है, राहुल गाँधी कहते है की दुसरे राज्यों में पलायन क्यूँ करते हो पर शायद यह कहना भूल जाते हैं की जहाँ हम पिटते  है वहां सरकार किसकी है??


सभी पार्टियाँ अपने घोषणा पत्रों में मुंगेरीलाल के सपने तो जरुर दिखाती है किन्तु चुनाव के बाद फिर वही ढाल के तिन पात और सब के सब दावे खोखले साबित हो जाते है,इस बार के चुनाव में भी ऐसा ही हुआ है किसी ने लैपटॉप तो किसी ने नौकरियों का जुठा पुलिंदा बाँध दिया अब देखते है की क्या परिणाम आता है???????????

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