Wednesday 12 October 2011

तुम्हारी याद मे


मेरा दिल भी तू मेरा जिगर भी तू!
मेरे आनेवाले कल का कवँल भी तू !
ये मेरी जिन्दंगी जो रोज तनहाई के अँधेरे में भटक रही थी कहीं !
उस जिन्दंगी की नई  डगर भी तू!

मेरा दिल भी तू मेरा जिगर भी तू

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