तालिबान...
दिल में दहशत
शहर शमशान
ज़िन्दगी बेबस
ज़ख़्मी जान..
जनाज़े में पड़े वो मासूम से चेहरे
ख़ून... ख़ून ज़मीन
आंसू... आंसू इंसान
बस सरहदों के बीच बंटा
वो... एक मुल्क़ नहीं
मेरा पड़ोसी है
जिसकी ना तो...
ज़मात से मैं जुदा हूँ
ना जुबान से...
सियासी सपेरों की पैदाईश... (तालिबान)
कभी ज़िहाद बन पनपती
कभी लिवास बन...
एक रोज़...
इस बंदूख... बारूद...दहशतग़र्दी
ने एक "मलाला" को भी मारा था
जो अब घर... घर ज़िंदा है
पहचान बनकर
पाक बनकर !!!!!
ज़िन्दगी बेबस
ज़ख़्मी जान..
जनाज़े में पड़े वो मासूम से चेहरे
ख़ून... ख़ून ज़मीन
आंसू... आंसू इंसान
बस सरहदों के बीच बंटा
वो... एक मुल्क़ नहीं
मेरा पड़ोसी है
जिसकी ना तो...
ज़मात से मैं जुदा हूँ
ना जुबान से...
सियासी सपेरों की पैदाईश... (तालिबान)
कभी ज़िहाद बन पनपती
कभी लिवास बन...
एक रोज़...
इस बंदूख... बारूद...दहशतग़र्दी
ने एक "मलाला" को भी मारा था
जो अब घर... घर ज़िंदा है
पहचान बनकर
पाक बनकर !!!!!
सत्या "नादाँ"